NCERT 12th Geography Human Development , 12th Geography मानव विकास, 12 Class Geography Chapter 4 मानव विकास Notes In Hindi

NCERT 12th Geography Human Development || 12th Geography मानव विकास

12th arts geography
4. मानव विकास(Human Development)

मानव विकास की अवधारणा :- मानव विकास की अवधारणा एक ऐसी प्रक्रिया है जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करती है और उनके जीवन को बेहतर बनाती है। यह केवल आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना और उन्हें स्वस्थ, शिक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना है।

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वृद्धि (Growth) और विकास (Development )

वृद्धि (Growth) :-

 यह एक मात्रात्मक (quantitative) और मूल्य-निरपेक्ष प्रक्रिया है। इसका अर्थ केवल संख्या में वृद्धि से है, जैसे जनसंख्या, अर्थव्यवस्था का आकार या शहर के क्षेत्रफल का बढ़ना।

 इसे मापा जा सकता है (जैसे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि)।

 यह सकारात्मक (positive) या नकारात्मक (negative) हो सकती है। यदि जनसंख्या घट रही है, तो इसे नकारात्मक वृद्धि कहा जाएगा।

विकास (Development)

 यह एक गुणात्मक (qualitative) और मूल्य-सापेक्ष प्रक्रिया है। इसका अर्थ विकल्पों में वृद्धि, जीवन की गुणवत्ता में सुधार और सकारात्मक बदलाव से है।

 इसे मापना कठिन होता है, क्योंकि इसमें लोगों के कल्याण, सशक्तिकरण और स्वतंत्रता को शामिल किया जाता है।

 विकास हमेशा सकारात्मक होता है। यदि कोई सकारात्मक बदलाव नहीं है तो उसे विकास नहीं माना जाएगा।

वृद्धि और विकास में अंतर

आधार वृद्धि (Growth) विकास (Development)
प्रकृति मात्रात्मक (Quantitative) गुणात्मक (Qualitative)
मूल्य मूल्य-निरपेक्ष (Value-neutral) मूल्य-सापेक्ष (Value-positive)
दिशा धनात्मक या ऋणात्मक हो सकती है हमेशा धनात्मक होती है
अवधि एक निश्चित समय के बाद रुक सकती है जीवन भर चलती रहती है
उदाहरण प्रति व्यक्ति आय का बढ़ना, जनसंख्या का बढ़ना साक्षरता दर में वृद्धि, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार

मानव विकास की परिभाषा:- मानव विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करती है और उनके जीवन को बेहतर बनाती है। यह केवल आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य लोगों को स्वस्थ, शिक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना है। इस अवधारणा को पाकिस्तान के अर्थशास्त्री डॉ. महबूब उल हक और भारतीय अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने विकसित किया था।

मुख्य विशेषताएं

विकल्पों में वृद्धि: मानव विकास का सबसे महत्वपूर्ण पहलू लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है। इसमें स्वस्थ जीवन, शिक्षा तक पहुंच और संसाधनों की उपलब्धता शामिल है।

गुणात्मक परिवर्तन: यह एक गुणात्मक (qualitative) प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि यह केवल आय में वृद्धि या अर्थव्यवस्था के आकार बढ़ने से नहीं, बल्कि लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार से जुड़ा है।

न्याय और समता: मानव विकास सभी के लिए समान अवसरों और न्याय सुनिश्चित करने पर जोर देता है। इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों का सशक्तिकरण करना है।

संक्षेप में, मानव विकास लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर उन्हें एक लंबा, स्वस्थ और सृजनात्मक जीवन जीने की क्षमता प्रदान करने का प्रयास है।

मानव विकास के चार स्तंभ :-  मानव विकास के चार प्रमुख स्तंभ हैं ये स्तंभ मानव जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और लोगों को उनके विकल्पों को बढ़ाने में मदद करते हैं।

  1. समता (Equity) :- इसका अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों तक समान पहुँच मिलनी चाहिए, चाहे वह उनका लिंग, जाति, आय या धर्म कुछ भी हो। मानव विकास में, सभी लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य संसाधनों का समान अवसर मिलना आवश्यक है।
  2. सतत् पोषणीयता (Sustainability) :- सतत् पोषणीयता का मतलब है कि अवसरों की उपलब्धता वर्तमान और भविष्य दोनों पीढ़ियों के लिए बनी रहनी चाहिए। हमें संसाधनों का उपयोग इस तरह से करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वे उपलब्ध रहें। यदि कोई पीढ़ी अपने संसाधनों को खत्म कर देती है, तो भविष्य की पीढ़ियों के पास विकल्प कम हो जाएंगे।
  3. उत्पादकता (Productivity) :- यह मानव श्रम उत्पादकता से संबंधित है। लोगों को उनकी क्षमताओं और योग्यताओं को बढ़ाकर अधिक उत्पादक बनाना चाहिए। इसके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में निवेश करना महत्वपूर्ण है ताकि लोग बेहतर काम कर सकें और अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।
  4. सशक्तिकरण (Empowerment) :- सशक्तिकरण का अर्थ है अपने विकल्प चुनने की शक्ति और क्षमता रखना। यह शक्ति बढ़ती हुई स्वतंत्रता और क्षमता से आती है। सरकारें और नीतियां लोगों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सशक्तिकरण का अभाव मानव विकास में एक बड़ी बाधा है।
  1. मानव विकास के उपागम (Approaches to Human Development) :- मानव विकास के चार प्रमुख उपागम हैं जिनका उपयोग विभिन्न देशों और क्षेत्रों में मानव विकास को मापने और समझने के लिए किया जाता है। ये उपागम मानव विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
  2. आय उपागम (Income Approach)

यह मानव विकास का सबसे पुराना उपागम है।

इस उपागम के अनुसार, किसी देश का विकास का स्तर उसकी प्रति व्यक्ति आय से मापा जाता है।

अधिक आय का अर्थ है कि लोगों को अधिक विकल्प मिल सकते हैं और उनका जीवन स्तर बेहतर हो सकता है।

कमियां: यह उपागम आय के वितरण में असमानता या लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में नहीं रखता है।

  1. कल्याण उपागम (Welfare Approach)

यह उपागम मानता है कि मानव विकास का केंद्रबिंदु मनुष्य है।

इसके तहत, सरकारें लोगों के कल्याण पर कितना खर्च करती हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, और आवास, इस पर जोर दिया जाता है।

इस उपागम में लोगों को निष्क्रिय प्राप्तकर्ता (passive recipients) के रूप में देखा जाता है।

  1. आधारभूत आवश्यकता उपागम (Basic Needs Approach)

यह उपागम अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

यह मानव विकास को न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति से मापता है।

इसके तहत, छह आधारभूत आवश्यकताओं को महत्वपूर्ण माना गया है: स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जल आपूर्ति, स्वच्छता और आवास।

कमियां: यह उपागम मानव विकास के लिए विकल्पों की बात नहीं करता है, बल्कि केवल न्यूनतम आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है।

  1. क्षमता उपागम (Capability Approach)

इस उपागम को प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने विकसित किया था।

यह मानता है कि मानव विकास का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपनी क्षमताओं का निर्माण करने और स्वस्थ तथा सार्थक जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना है।

इस उपागम में लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, और अन्य संसाधनों तक पहुँच को महत्वपूर्ण माना जाता है, ताकि वे अपने जीवन में अधिक विकल्प चुन सकें। यह उपागम मानव विकास का सबसे व्यापक और आधुनिक दृष्टिकोण है।

मानव विकास का मापन (Measuring Human Development)

मानव विकास को मापने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला तरीका मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI) है। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा वार्षिक रूप से प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में शामिल किया जाता है।

मानव विकास सूचकांक (HDI) के आयाम

HDI तीन प्रमुख आयामों पर आधारित है, जो किसी देश में मानव विकास के स्तर को दर्शाते हैं:

स्वास्थ्य (Health):-  इसे जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy at Birth) के आधार पर मापा जाता है। इसका अर्थ है कि एक नवजात शिशु के औसत रूप से कितने वर्ष तक जीवित रहने की उम्मीद है। उच्च जीवन प्रत्याशा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और लोगों के अच्छे जीवन का संकेत है।

शिक्षा (Education):-  इसे दो संकेतकों से मापा जाता है:

स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष :- यह 25 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों द्वारा स्कूल में बिताए गए औसत वर्षों को दर्शाता है।

स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष :- यह एक बच्चे के स्कूल में बिताने की अपेक्षित वर्षों की संख्या है।

संसाधनों तक पहुँच :- इसे प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के आधार पर मापा जाता है। यह लोगों के जीवन स्तर को दर्शाता है।

HDI के मूल्य के आधार पर देशों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जाता है:

अति उच्च मानव विकास (Very High Human Development) :- अति उच्च मानव विकास श्रेणी में वे देश शामिल हैं जिनका HDI मान 0.800 से अधिक है। इन देशों में नागरिकों को लंबा, स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने के लिए सर्वोत्तम अवसर प्राप्त होते हैं। इन देशों में आय के स्तर, शिक्षा के अवसर और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है।

उच्च मानव विकास (High Human Development) :- उच्च मानव विकास श्रेणी में वे देश आते हैं जिनका HDI मान 0.700 से 0.799 के बीच होता है। इन देशों ने स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में महत्वपूर्ण प्रगति की होती है, लेकिन इनकी स्थिति अति उच्च विकास वाले देशों से थोड़ी कम होती है।

मध्यम मानव विकास (Medium Human Development) :- मध्यम मानव विकास श्रेणी में उन देशों को रखा जाता है जिनका HDI मान 0.550 से 0.699 के बीच होता है। इन देशों में विकास की प्रक्रिया जारी होती है, लेकिन यहाँ स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में चुनौतियाँ बनी रहती हैं। भारत इस श्रेणी में आता है।

निम्न मानव विकास (Low Human Development) :- निम्न मानव विकास श्रेणी में वे देश आते हैं जिनका HDI मान 0.550 से कम होता है। इन देशों में लोगों को जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और आय तक पहुँचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

विभिन्न देशों के बीच मानव विकास की तुलना

विभिन्न देशों के बीच मानव विकास की तुलना करने के लिए मानव विकास सूचकांक (HDI) का उपयोग किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) प्रत्येक वर्ष “मानव विकास रिपोर्ट” जारी करता है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के संकेतकों के आधार पर देशों को रैंक दी जाती है। यह रैंकिंग देशों को उनकी विकास यात्रा में प्रगति की तुलना करने, कमियों को उजागर करने और नीतियों में सुधार के लिए मार्गदर्शन करती है।

प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय तुलनाएँ

शीर्ष रैंकिंग वाले देश: रिपोर्ट में अति उच्च मानव विकास वाले देशों की सूची में स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड जैसे देश अक्सर शीर्ष पर होते हैं। इन देशों में उच्च जीवन प्रत्याशा, उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली और प्रति व्यक्ति उच्च आय होती है।

निम्न रैंकिंग वाले देश: निम्न मानव विकास श्रेणी में आमतौर पर उप-सहारा अफ्रीका के देश जैसे सोमालिया, दक्षिण सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य शामिल होते हैं। इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता, गरीबी, सीमित स्वास्थ्य सेवाएँ और शिक्षा तक पहुँच की कमी जैसे कारण मानव विकास को बाधित करते हैं।

भारत की स्थिति:  मानव विकास रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, भारत 193 देशों में 134वें स्थान पर है और मध्यम मानव विकास की श्रेणी में आता है। भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा और आय के संकेतकों में सुधार दिखाया है, लेकिन असमानता और लैंगिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना अभी भी कर रहा है।

विभिन्न देशों के बीच HDI में अंतर के कई कारण हैं:

आर्थिक असमानता: उच्च आय वाले देशों में जीवन स्तर बेहतर होता है, जबकि निम्न आय वाले देशों में लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

सरकारी नीतियाँ: शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर सरकारी खर्च का सीधा असर मानव विकास पर पड़ता है।

सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता: राजनीतिक अस्थिरता, संघर्ष और हिंसा वाले देशों में स्वास्थ्य और शिक्षा की बुनियादी संरचनाएँ अक्सर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे विकास अवरुद्ध होता है।

लैंगिक समानता: जिन देशों में महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के समान अवसर मिलते हैं, वहाँ मानव विकास का स्तर अधिक होता है।

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